वज़ीरिस्तान बम धमाका: 13 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत, तालिबान ने ली जिम्मेदारी, इस्लामाबाद ने भारत पर लगाए आरोप

वज़ीरिस्तान एक बार फिर हिंसा का गवाह बना, जब हाल ही में हुए एक भीषण बम धमाके में पाकिस्तान के 13 सैनिक मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी एक तालिबान गुट ने ली है, लेकिन इसके तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से इस हमले में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। यह घटना न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा की असफलता को उजागर करती है, बल्कि दक्षिण एशिया में जारी कूटनीतिक तनाव को भी और गहरा कर देती है।

धमाके का विवरण

वज़ीरिस्तान, जो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का एक अशांत इलाका है, लंबे समय से आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है। 29 जून 2025 को हुए इस ताज़ा बम धमाके ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को एक बार फिर बड़ा झटका दिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला उस समय हुआ जब सेना का एक काफिला इलाके में नियमित गश्त कर रहा था।

धमाका इतना जबरदस्त था कि कई सैनिक मौके पर ही मारे गए और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। सेना ने इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया, लेकिन अब तक किसी बड़ी गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

तालिबान गुट ने ली जिम्मेदारी

इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान से जुड़े एक चरमपंथी गुट ने ली है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उन्होंने इस हमले को “पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों” के खिलाफ बदले की कार्रवाई बताया। पाकिस्तानी तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के नाम से जाना जाता है, पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में लिप्त है।

हालाँकि पाकिस्तान ने TTP को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर रखा है, लेकिन समय-समय पर यह गुट फिर से सक्रिय हो जाता है और इस तरह के हमलों को अंजाम देता है।

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वज़ीरिस्तान धमाका: 13 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत, तालिबान ने मानी जिम्मेदारी, भारत पर इस्लामाबाद के आरोप तेज़

पाकिस्तान का भारत पर आरोप

हमले के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया जिसमें भारत पर “गुप्त रूप से आतंकवाद को बढ़ावा देने” का आरोप लगाया गया। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि भारत वज़ीरिस्तान और बलूचिस्तान जैसे इलाकों में अस्थिरता फैलाने के लिए “प्रॉक्सी नेटवर्क” का इस्तेमाल कर रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने आतंकी हमलों के बाद भारत को दोषी ठहराया हो। लेकिन इस बार पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे में हस्तक्षेप की माँग भी की है।

भारत सरकार ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और भ्रामक” बताया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत किसी भी तरह के आतंकवाद का कड़ा विरोध करता है और खुद आतंकवाद का शिकार रहा है।

क्षेत्रीय राजनीति और बढ़ता तनाव

इस घटना के बाद दक्षिण एशियाई क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे मतभेद और सीमाओं पर हो रही घटनाएँ पहले ही द्विपक्षीय संबंधों को जटिल बना चुकी हैं। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप न केवल कूटनीतिक रिश्तों को और कमजोर करते हैं, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी गंभीर खतरा बन जाते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि वज़ीरिस्तान जैसे क्षेत्रों में असुरक्षा और चरमपंथ तब तक खत्म नहीं किया जा सकता, जब तक कि पाकिस्तान अपने आतंकी ढांचे और आतंकी गुटों को मिलने वाले समर्थन को पूरी तरह खत्म न करे। भारत पर आरोप लगाना एक “डाइवर्जन” यानी असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश हो सकती है।

पाकिस्तानी सेना और सरकार की आलोचना

इस हमले के बाद पाकिस्तानी सरकार और सेना की कड़ी आलोचना हो रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार सुरक्षा मामलों में विफल रही है और सेना आतंरिक खतरों से निपटने में पूरी तरह नाकाम रही है।

कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को अब अपनी आंतरिक नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ वास्तविक नीति अपनानी चाहिए, बजाय इसके कि हर बार बाहरी तत्वों को दोष देकर जिम्मेदारी से बचा जाए।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

अमेरिका, रूस और यूरोपीय यूनियन ने वज़ीरिस्तान हमले की निंदा की है। उन्होंने पाकिस्तान से आतंरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने और चरमपंथी गुटों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की अपील की है। हालांकि किसी भी देश ने भारत पर लगे आरोपों को समर्थन नहीं दिया है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

निष्कर्ष

वज़ीरिस्तान बम धमाका एक बार फिर पाकिस्तान की असुरक्षा, अस्थिरता और आतंकवादी गुटों की मौजूदगी को उजागर करता है। यह हमला पाकिस्तान की आतंरिक सुरक्षा नीति की विफलता का प्रतीक है। तालिबान गुट द्वारा जिम्मेदारी लेने के बाद भी भारत पर आरोप लगाना कहीं न कहीं राजनीतिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।

भारत और पाकिस्तान दोनों को चाहिए कि वे आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाएँ और क्षेत्रीय शांति के लिए आपसी संवाद और सहयोग को प्राथमिकता दें। युद्ध, नफरत और संदेह से कोई समाधान नहीं निकलता — केवल समझदारी, जिम्मेदारी और कूटनीतिक प्रयास ही भविष्य का रास्ता दिखा सकते हैं।

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