अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इस बार विवाद की वजह बना है अमेरिका द्वारा कुछ नए टैरिफ़ लागू करना, जिसे लेकर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीन का कहना है कि अमेरिका ने यह कदम उठाकर दोनों देशों के बीच हुई व्यापारिक संधि का गंभीर उल्लंघन किया है।
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह नया विवाद न केवल वैश्विक व्यापार पर असर डाल सकता है, बल्कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और बाज़ारों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
अमेरिका का टैरिफ़ निर्णय
हाल ही में अमेरिका ने कुछ चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क (टैरिफ़) बढ़ाने की घोषणा की है। इन वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, स्टील, सौर पैनल, बैटरी और ऑटोमोबाइल्स जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि यह कदम घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और चीनी डंपिंग नीति को रोकने के लिए उठाया गया है।
हालाँकि, चीन इसे एकतरफा और भड़काऊ कदम मानता है।
अमेरिका का टैरिफ़ निर्णय
हाल ही में अमेरिका ने कुछ चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क (टैरिफ़) बढ़ाने की घोषणा की है। इन वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, स्टील, सौर पैनल, बैटरी और ऑटोमोबाइल्स जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि यह कदम घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और चीनी डंपिंग नीति को रोकने के लिए उठाया गया है।
हालाँकि, चीन इसे एकतरफा और भड़काऊ कदम मानता है।
क्या है ‘फेज़ वन डील’?
2020 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध को रोकने के लिए एक समझौता हुआ था जिसे ‘फेज़ वन डील’ कहा गया। इसके तहत:
चीन ने अमेरिकी उत्पादों की अधिक खरीद पर सहमति दी थी
दोनों देशों ने टैरिफ़ में राहत देने की बात कही थी
IP राइट्स और तकनीक ट्रांसफर जैसे मामलों में समझौता हुआ था
लेकिन अब अमेरिका के हालिया टैरिफ़ निर्णय को चीन उस संधि से पीछे हटना मान रहा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता टैरिफ़ तनाव केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं है। इसके दूरगामी प्रभाव वैश्विक बाज़ारों पर पड़ सकते हैं:
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में अस्थिरता की भावना
व्यापारिक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव
वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
विकासशील देशों के लिए निर्यात के अवसर कम होना
यह स्थिति दुनिया भर की सरकारों और कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
अमेरिका की रणनीति क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभुत्व और तकनीकी विस्तार को रोकने के लिए यह कदम उठा रहा है। अमेरिका को डर है कि चीन 5G, AI, और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में जल्द ही वैश्विक नेतृत्व हासिल कर लेगा। ऐसे में टैरिफ़ और प्रतिबंधों के ज़रिए अमेरिका चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
चीन का अगला कदम?
चीन ने अभी तक प्रत्यक्ष रूप से कोई ठोस जवाबी टैरिफ़ लागू नहीं किया है, लेकिन संकेत दिए हैं कि वह:
अमेरिका से आयातित उत्पादों पर टैरिफ़ लगा सकता है
अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है
WTO (विश्व व्यापार संगठन) में शिकायत दर्ज कर सकता है
भारत के लिए क्या मायने?
भारत के लिए यह तनाव एक अवसर और चुनौती दोनों है:
अवसर –
भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विकल्प के रूप में उभर सकता है
निवेशक चीन से हटकर भारत की ओर रुख कर सकते हैं
चुनौती –
वैश्विक मंदी का असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है
व्यापारिक अस्थिरता से बाजार में अनिश्चितता बढ़ सकती हैभारत के लिए क्या मायने?
भारत के लिए यह तनाव एक अवसर और चुनौती दोनों है:
अवसर –
भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विकल्प के रूप में उभर सकता है
निवेशक चीन से हटकर भारत की ओर रुख कर सकते हैं
निष्कर्ष
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ़ को लेकर नया विवाद एक बार फिर यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार केवल अर्थशास्त्र नहीं, बल्कि रणनीति और कूटनीति का खेल भी है।
जहाँ एक ओर अमेरिका अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के नाम पर कदम उठा रहा है, वहीं चीन इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून का उल्लंघन बता रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश एक और व्यापार युद्ध की ओर बढ़ते हैं या कोई समझौता होता है।