भारत की महानता को शब्दों में बाँधना आसान नहीं, लेकिन जब कोई अंतरिक्ष से इस धरती को देखता है और भारत के बारे में बोलता है — तो वह केवल शब्द नहीं होते, वह भावनाओं, गर्व और इतिहास का मिश्रण होते हैं। हाल ही में भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु पांडे ने अंतरिक्ष से भारत को देखते हुए कहा – “India is majestic.” उनकी इस एक पंक्ति ने पूरे देश के दिल को छू लिया और हमें फिर से उस ऐतिहासिक पल की याद दिला दी, जब भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने कहा था – “सारे जहां से अच्छा।”
आइए, इस ब्लॉग में हम दोनों ऐतिहासिक पलों को याद करें, तुलना करें और समझें कि कैसे समय बदला है, लेकिन भारत की गरिमा और गौरव आज भी उतना ही ऊँचा है।
शुभांशु पांडे – आधुनिक भारत की अंतरिक्ष गाथा
शुभांशु पांडे, जो अब एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अभियान का हिस्सा हैं, ने जब अपने स्पेस क्राफ्ट से पृथ्वी को निहारा, तो भारत को देखकर उनके मुंह से निकला – “India is majestic.” यह शब्द केवल एक वाक्य नहीं था, बल्कि यह उस भावना का प्रतीक था जो हर प्रवासी भारतीय या अंतरिक्ष यात्री के मन में भारत के लिए होती है।
शुभांशु ने इस बयान के साथ भारत की तकनीकी तरक्की, सांस्कृतिक समृद्धि और लोकतांत्रिक मूल्यों को सम्मान दिया। उनकी आवाज़ में भावनाओं की गहराई थी और इस छोटे से वीडियो ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर करोड़ों दिलों को छू लिया।
राकेश शर्मा – 1984 का वो गौरवपूर्ण पल
अब हम चलते हैं 1984 में। जब राकेश शर्मा सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान सोयूज़ T-11 से अंतरिक्ष में गए थे। वह भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने। जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा – “अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?”
राकेश शर्मा ने बिना रुके जवाब दिया –
“सारे जहां से अच्छा।”
उनका यह जवाब न केवल पूरे भारतवर्ष में गर्व का विषय बना, बल्कि यह देशभक्ति की एक ऐतिहासिक पंक्ति बन गई। वह क्षण आज भी भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है।
दो युग, एक भावना
राकेश शर्मा के समय भारत तकनीकी रूप से विकसित होने की दिशा में कदम रख रहा था। आज शुभांशु पांडे जैसे भारतीय युवा वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय स्पेस प्रोग्राम्स का हिस्सा बन रहे हैं, जो हमारे विकास और वैज्ञानिक योगदान को दर्शाता है।
1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने राकेश शर्मा से संवाद किया। आज 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत चंद्रयान और गगनयान जैसे मिशनों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
तब भावनाओं को शब्दों में “सारे जहां से अच्छा” कहा गया, अब आधुनिक सोच में उसी भावना को “India is majestic” कहकर प्रकट किया गया।
ये वीडियो क्यों हैं खास?
इन दोनों वीडियो में सिर्फ संवाद नहीं है, बल्कि यह भारत की बदलती छवि, तकनीकी यात्रा और वैश्विक पहचान का प्रतीक हैं।
शुभांशु का वीडियो हमें याद दिलाता है कि आज का भारत आत्मनिर्भर है, वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली है और हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
वहीं, राकेश शर्मा का वीडियो एक प्रेरणा है – कि कैसे सीमित संसाधनों में भी भारत के सपने अंतरिक्ष तक पहुँच सकते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
इन दोनों वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं।
किसी ने लिखा, “यह सुनकर रोंगटे खड़े हो गए।”
किसी ने कहा, “राकेश शर्मा से लेकर शुभांशु तक, भारत की अंतरिक्ष यात्रा सचमुच शानदार रही है।”
युवाओं के लिए यह प्रेरणा है कि वे भी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ें।
निष्कर्ष
राकेश शर्मा हों या शुभांशु पांडे, इन दोनों ने अंतरिक्ष से जो देखा वह भारत की आत्मा थी। एक ने उसे उर्दू के खूबसूरत शब्दों में बयान किया – "सारे जहाँ से अच्छा", और दूसरे ने उसे इंग्लिश में आधुनिक युग की भाषा में कहा – "India is majestic"।
दोनों बयानों के बीच चार दशक का फासला है, लेकिन भावना एक ही – भारत के लिए गर्व, प्रेम और सम्मान।
इन वीडियो को देखकर एक बात स्पष्ट होती है — चाहे वक़्त बदल जाए, नेता बदल जाएँ, तकनीक बदल जाए — लेकिन भारत के प्रति गर्व कभी नहीं बदलता।